खान जल उपयोग-हर बूंद कीमती है
हर बूंद कीमती है
तीव्र शहरीकरण और औद्योगीकरण के साथ-साथ जनसंख्या वृद्धि ने उपलब्ध जल संसाधनों पर गंभीर दबाव डाला है। ऐसा अनुमान है कि बीएयू परिदृश्य के तहत 2030 तक विश्व को 40% पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है़।
भारत भी गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता भयानक दर से लगातार गिर रही है। यह 1950 में ~5000 क्यू.मी. से गिरकर 2020 में लगभग 1500 क्यू.मी. हो गई है। यदि यह लगभग 1,000-1,100 क्यू.मी. तक और गिरती है तो भारत को जल-संकट ग्रस्त देश के रूप में घोषित किया जा सकता है।
जल संकट चिंताजनक होता जा रहा है। पानी पर गंभीरता से सोचने का समय आ गया है। पानी की हर बूंद बचाने की आवश्यकता है क्योंकि हर बूंद कीमती है।
खान जल उपयोग – खनन के जल फुटप्रिंट्स को कम करने का सफल तरीका
कोयला खनन की प्रक्रिया में, माइन संप में भारी मात्रा में जल एकत्र हो जाता है और तत्पश्चात इसे बाहर सतह पर निकाला जाता है। उपयुक्त उपचार विधियों का उपयोग करके उपलब्ध खान जल का इस्तेमाल पेयजल/सिंचाई उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
सक्रिय और परित्यक्त दोनों खानों में खान जल के लाभदायक इस्तेमाल में कोयला कंपनियां सराहनीय कार्य कर रही हैं। यह प्रयास जल शक्ति अभियान के अनुपालन में है जो भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया जल संरक्षण अभियान है।
खान जल का संचयन – यह कैसे होता है?
- यूजी खानों में – मुख्य रूप से जलवाही स्तरों के कटाव के कारण
- ओसी खानों में - जलवाही स्तरों के कटाव के साथ-साथ वर्षा जल का अपवाह
खान जल के दो स्रोत
- परिचालित खानें: खनन को जारी रखने के लिए संचयित जल को बाहर निकाला जाता है।
- परित्यक्त यूजी खानें और ओसी वॉयड्स
कोयला खानों में खान जल की सामान्य गुणवत्ता
- सामान्य गुणवत्ता अच्छी होती है और लघु उपचार के पश्चात घरेलू और सिंचाई उद्देश्यों के लिए उपयुक्त होता है: अवसादन - निस्यंदन – विसंक्रमण – आवश्यकतानुसार और उपयोग की प्रकृति के अनुसार।
- चूंकि भारतीय कोयला पाइराइट से जुड़ा हुआ नहीं होता है इसलिए केवल कुछ अपवादों को छोड़कर अम्लीय खान जल निकासी के मामलों का सामना नहीं करना पड़ता है। अम्लीय खान जल वाली कुछ खानों में – उपयुक्त उपचार किया जाता है और शून्य डिस्चार्ज प्रणाली भी बनाई रखी जाती है।
- अनुमेय सीमाओं से अधिक ट्रैस तत्वों/हेवी मैटल्स का पाया जाना – कभी-कभार ही पाए जाते हैं।
खान जल गुणवत्ता की निगरानी
- 6 मानदंडों पर पंद्रह-पंद्रह दिनों बाद नजर रखी जाती है – पीएच टोटल सस्पेंडिड सॉलिड्स (टीएसएस) टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड्स (टीडीएस)केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी)तेल और ग्रीस।
- सीपीसीबी द्वारा निर्धारित जल गुणवत्ता के सभी 33 मानदंडों पर वार्षिक आधार पर नजर रखी जाती है।
- इसके अलावा, घरेलू उद्देश्य के लिए आपूर्ति किए गए खान जल की गुणवत्ता को नियमित अंतराल पर चैक किया जाता है।
खान जल उपयोग के तरीके
खानों से निकाला गया जल सेटलिंग टैंकों से होकर गुजरता है और विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है:
- कोयला कंपनियों द्वारा औद्योगिक उपयोग – यूजी परिचालनों में धूल दबाना, वृक्षारोपण, अग्नि शमन, मशीनों को धोना, जल छिड़काव आदि।
- कोयला परियोजनाओं की कॉलोनियों और कार्यालयों में घरेलू उपयोग - उचित उपचार के बाद।
- घरेलू और सिंचाई उद्देश्य के लिए सामुदायिक आपूर्ति - विभागीय रूप से और राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन रूट दोनों के माध्यम से।
- अन्य उद्योगों को आपूर्ति (डब्ल्यूसीएल द्वारा महाजेन्को को, एनएलसीआईएल अपने टीपीपी को आपूर्ति की जा रही है)।
- नगर निगमों को आपूर्ति (बीसीसीएल द्वारा धनबाद नगर पालिका, एनएलसीआईएल द्वारा चेन्नई को)।
- परित्यक्त ओसी वॉयड्स में जल पार्कों/जल क्रीडा स्थलों/पिकनिक स्थलों का निर्माण।
- परित्यक्त खान वॉयड्स में मछली-पालन।
- बोतलबंद जल आपूर्ति (डब्ल्यूसीएल कोल नीर बेच रहा है)।
- भूमिगत जल पुनर्भरण।
दिनांक 31.03.2024 की स्थिति के अनुसार खान जल उपयोग की स्थिति (सीआईएल + एससीसीएल + एनएलसीआईएल)
- पिछले 5 वर्षों के दौरान मार्च, 2024 तक समुदाय के उपयोग हेतु आपूर्ति किए जाने वाले खान जल की मात्रा 18,513 एलकेएल थी जिससे कोयलाधारी राज्यों के 1055 गांवों में लगभग 37.63 लाख लोगों को लाभ मिलने की आशा है। सिचांई प्रयोजन हेतु आपूर्ति किए जाने वाले खान जल की मात्रा 7,010 एलकेएल रहा तथा घरेलू एवं पेय प्रयोजन हेतु 11,503 एलकेएल रहा है।
- वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कोयला/लिग्नाइट पीएसयू ने सामुदायिक प्रयोग हेतु 4,300 एलकेएल के लक्ष्य की तुलना में लगभग 4,892 एलकेएल खान जल की पेशकश की है
- वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू/पेयजल के लिए खान के पानी के उपयोग हेतु 37.63 लाख लोगों के लिए संभाव्यता का सृजन किया गया।
बढ़ी हुई सामुदायिक जल आपूर्ति के लिए योजना - 5 वर्षीय विजन दस्तावेज़
- 2028-29तक कुल सामुदायिक जल आपूर्ति को 20,000 एलकेएल (प्रति वर्ष 4,000 एलकेएल) तक बढ़ाने की योजना है।
सामुदायिक जल आपूर्ति – राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू)/सर्वोत्तम प्रथाएं
कोयला कंपनियों ने सामुदायिक जल आपूर्ति के लिए संबंधित राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन किया है। एमओयू के तहत, सतह जलाशय में कच्चा खान जल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी खान प्रबंधन की है। जबकि, फिल्ट्रेशन, परिचालन, गुणवत्ता नियंत्रण और वितरण की जिम्मेदारी राज्य सरकार के दायरे में आती है।
समझौता ज्ञापन में परिचालित और परित्यक्त खान वॉयड्स दोनों को शामिल किया गया है। परिचालित खानों/परित्यक्त स्थलों की पहचान कर ली गई है और कोयला कंपनियों के परामर्श से राज्य एजेंसियों द्वारा खान जल उपयोग की योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
• झारखंड राज्य और सीआईएल के बीच समझौंता ज्ञापन-सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के कमांड़ क्षेत्रों में स्थित गांवों द्वारा खान जल का उपयोग।
• पश्चिम बंगाल और ईसीएल के बीच समझौता ज्ञापन-सिंचाई के उद्देश्य हेतु समुदायों द्वारा खान जल का उपयोग।
• डब्ल्यूसीएल और महाजेनकों के बीच समझौता ज्ञापन-डब्ल्यूसीएल की खानों के निकट स्थित महाजेनकों विद्युत संयंत्रों का खान जल उपलब्ध कराना।
• डब्ल्यूसीएल और विदर्भ सिंचाई विकास निगम के बीच समझौता ज्ञापन- डब्ल्यूसीएल की खानों से वीआईडीसी को अतिरिक्त खान जल उपलब्ध कराना।
• छत्तीसगढ़ सरकार और एसईसीएल के बीच समझौता ज्ञापन- पीएचईडी, जल संसाधन विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों को खान जल की आपूर्ति।
• एलएलसीआईएल चेन्नई मेट्रो जल आपूर्ति योजना को खान जल की आपूर्ति कर रहा है- विरानम सरोबर से चेन्नई को खान जल की आपूर्ति।
• एससीसीएल में, अतिरिक्त खान जल को समुदाय के उपयोग हेतु आसपास के टैंकों में डिस्चार्ज किया जाता है (पेयजल एवं सिंचाई)।
एनएलसीआईएल चेन्नई मैट्रो को जलापूर्ति कर रही है
पेय प्रयोजनों के लिए खान से जल 200 किमी पाइप लाइन के माध्यम से मेट्रोपॉलिटन विभाग, चेन्नई को भेजा जाता है। दो पंपिंग स्टेशन चेन्नई को लगभग 19611 केएल/दिन की आपूर्ति करते हैं और यह आपूर्ति विशेष रूप से गर्मियों में पानी की मांग को पूरा करने में काफी मदद करती है।
डब्ल्यूसीएल द्वारा बोतलबंद जलापूर्ति – कोल नीर
पाटनसौंगी यूजी खान में आरओ संयंत्र (10,000 लीटर/घंटा) लगाया गया है। उपचार संयंत्र में अवसादन की चरणबद्ध प्रक्रिया, स्लो सैंड फिल्टर के जरिए फिल्ट्रेशन और आरओ संयंत्र के जरिए प्रोसेसिंग, इसके बाद यूवी उपचार शामिल है।
इसके अलावा, आरएफसी बॉटलिंग प्लांट (क्षमता: 15000 बोतलें प्रति दिन) की स्थापना के साथ पैकेज्ड पेयजल "कोल नीर" शुरू किया गया है। पैकेज्ड पेयजल के लिए बीआईएस और एफएसएसएआई सर्टिफिकेशन प्राप्त किया गया था।
पहले चरण में कोल नीर का इस्तेमाल आंतरिक उपयोग के लिए किया जा रहा है और दूसरे चरण में सरकारी कार्यालयों को उपलब्ध कराया जाएगा। कोल नीर की 500 मि.ली. और 1 लीटर की बोतल को क्रमश: 7/- रु. और 10/- रु. की दर पर बेचे जाने का प्रस्ताव है ।
डब्ल्यूसीएल द्वारा महाजेनको को जलापूर्ति
डब्ल्यूसीएल ने कापरखेड़ा टीपीएस की औद्योगिक जल मांग को पूरा करने के लिए भानेगांव ओसीएम से 107.6 लाख क्यू./वर्ष अधिशेष खान जल की मात्रा उपलब्ध कराने के लिए महाजेनको के साथ एमओयू किया है। पहले, टीपीएस की जल की यह मांग पेंच सिंचाई जलाशय से पूरी की जा रही थी। अब, नागपुर शहर में पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पेंच जलाशय से बचाए गए पानी का उपयोग किया जा रहा है।
एसईसीएल की एक पुरानी खान में मछली पालन/फ्लोटिंग रेस्तरां/नौकायन
उपरोक्त सुविधाएं लगभग 26 एकड़ के जल भराव क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में एसईसीएल के बिश्रामपुर ओसी की परित्यक्त खान संख्या 6 में बनाई गई हैं। छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य विभाग द्वारा विकसित और 197.00 लाख रु. की राशि बिश्रामपुर क्षेत्र द्वारा खान बंद करने संबंधी निधि से उपलब्ध कराई गई। उपलब्ध कराई गई सुविधाओं में 32 मत्स्य पालन जाल, 01 फ्लोटिंग रेस्तरां, 2 मोटर बोट और फ्लोटिंग राफ्ट्स शामिल हैं।
जिला प्रशासन द्वारा पूरे सैट अप को संचालन व रखरखाव के लिए आसपास के ग्रामीण स्वयं सहायता समूह को सौंप दिया गया है। आसपास के गांवों के लगभग 30-40 व्यक्तियों को आजीविका प्रदान करता है। वाणिज्यिक बिक्री के लिए नियमित आधार पर अच्छी मात्रा में (800 क्विंटल/वर्ष) मछली (पंगश) निकाली जा रही है। नौकायन, फ्लोटिंग रेस्तरां और अन्य जल खेल से भी कमाई होती है। यह स्थल आसपास के लोगों के लिए एक प्रसिद्ध पर्यटन/नौकायन स्थल भी बन गया है और औसतन लगभग 100 पर्यटक यहां रोज आतें हैं।