कोयला मंत्रालय निम्नलिखित तीन केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं का संचालन करता है-

i.    कोयला और लिग्नाइट का अन्वेषण,
ii.    अनुसंधान एवं विकास और
iii.    कोयला खानों में संरक्षण, सुरक्षा और अवसंरचनात्मक विकास।

योजनाओं का संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है:-

1    कोयला और लिग्नाइट का अन्वेषण - क्षेत्रीय अन्वेषण द्वारा, कोयले और लिग्नाइट क्षेत्र की पूर्वानुमानित घटनाओं को 'संकेतित' और 'अनुमानित' संसाधनों में वर्गीकृत किया गया है। योजना के तहत अन्वेषण भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (जीआर) तैयार करके भारत के कोयला/लिग्नाइट संसाधनों को चित्रित करने, अनुमान लगाने और मूल्यांकन करने के लिए महत्वपूर्ण डाटा उत्पन्न करता है। इन रिपोर्टों का उपयोग नीलामी/आवंटन के लिए रखे जाने वाले नए कोयला ब्लॉकों के लिए किया जाता है।

क्षेत्रीय अन्वेषण द्वारा चिन्हित संभावित क्षेत्रों को दूसरे चरण में विस्तृत अन्वेषण के लिए लिया जाता है जिसमें संसाधनों को 'प्रमाणित' श्रेणी में लाने के लिए गहन ड्रिलिंग शामिल है।

2   अनुसंधान एवं विकास - कोयला मंत्रालय (एमओसी) में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) गतिविधि को एक शीर्ष निकाय अर्थात् अध्यक्ष के रूप में सचिव (कोयला) के साथ स्थायी वैज्ञानिक अनुसंधान समिति (एसएसआरसी) के माध्यम से प्रशासित किया जाता है। एसएसआरसी के मुख्य कार्य नई और चालू अनुसंधान परियोजनाओं की योजना बनाना, कार्यक्रम बनाना, बजट बनाना और अनुसंधान परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करना है।

3    कोयला खानों में संरक्षण, सुरक्षा और अवसरंचनात्मक विकास - कोयले के संरक्षण और कोयला खानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने संरक्षण और विकास अधिनियम (सीसीडीए) बनाया है।

कोयला संरक्षण और विकास अधिनियम (सीसीडीए) समिति का गठन केंद्र सरकार को रेत भराई, सुरक्षात्मक कार्यों और परिवहन अवसंरचना के विकास में कोयला कंपनियों द्वारा किए गए खर्च के भुगतान के लिए सलाह देने के लिए किया गया है।

रेत भराई संबंधी कार्यों, सुरक्षात्मक कार्यों (अज्वलन सामग्रियों के साथ ब्लेंकेटिंग और धंसाव को भरने सहित) के लिए फंड की प्रतिपूर्ति की जाती है।

नई कोयला खनन विधियों का विकास, विस्फोटकों का विकास और उपयोग, खानों में विभिन्न भूमिगत और भूतल परिवहन प्रणालियों का तकनीकी-आर्थिक अध्ययन।

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान उक्त योजनाओं के लिए बजट आवंटन निम्नानुसार है: